2025 में गुरु तेग बहादुर सिंह जी की जयंती कब है?
गुरु तेग बहादुर जयंती 2025: सिक्खों के नौवें गुरू धन श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश पर्व हर साल बैसाख महीने में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल 2025 में गुरु तेग बहादुर जी की 403वीं जयंती 18 अप्रैल को शुक्रवार के दिन मनाई जा रही है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म 21 अप्रैल 1621 को हुआ था, इसलिए 21 अप्रैल को भी उनका जन्मदिन मनाया जाता है।
गुरु तेग बहादुर सिंह जी का जन्मदिन बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर अखंड पाठ साहिब, आरती व कीर्तन और गुरु का लंगर जैसे विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
साल 2022 में गुरु जी के प्रकाश उत्सव की 400वी वर्षगांठ पूर्ण होने के मौके पर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी लाल किले में होने वाले एक कार्यक्रम को सम्बोधित किया, इस दौरान उन्होंने एक विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया था।
श्री गुरु तेग बहादुर सिंह जी कौन थे? (बायोग्राफी)
श्री गुरु तेग बहादुर सिंह जी का जन्म वैशाख कृष्ण पंचमी (21 अप्रैल 1621) को पंजाब के अमृतसर मुगल सल्तनत में हुआ वह सिक्खों के छठे गुरु गुरु हरगोविंद सिंह जी की 6 संतानों में से सबसे छोटे पुत्र है। उनके बचपन का नाम ‘त्याग मल‘ था और उनकी माँ का नाम ‘माता नानकी‘ था।
जब उनका जन्म हुआ तब अमृतसर सिक्खों की आस्था का केंद्र था। उन्हें सिख संस्कृति में तीरंदाजी और घुड़सवारी में प्रशिक्षित किया गया और वेदों उपनिषदों और पुराणों जैसे पुराने क्लासिक्स भी पढ़ाए गए।
विवाह और सांसारिक जीवन
श्री गुरू तेग बहादुर जी का विवाह 3 फरवरी 1633 को ‘माता गुजरी‘ के साथ हुआ। जिनसे उन्हें एक पुत्र श्री गुरु गोविंद राय (सिंह जी) की प्राप्ति हुई जो बाद में सिक्खों के 10वें गुरु बने।
1644 में उनके पिता गुरु हरगोबिंद की मृत्यु नजदीक आने पर गुरु हरगोबिंद अपनी पत्नी नानकी के साथ उनके पैतृक गांव बकाला, अमृतसर (पंजाब) में चले गए, साथ ही त्याग मल (GTB) और उनकी पत्नी माता गुजरी भी गए।
गुरु हरगोविंद जी की मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर अपनी पत्नी और मां के साथ बकाला में ही रहते रहे, वह हमेशा से ही लंबे समय तक एकांत और चिंतन के मंत्र को प्राथमिकता देते थे।
हालांकि वे बैरागी नहीं थे उन्होंने अपनी परिवारिक जिम्मेदारियों में हिस्सा लिया और बकाला के बाहर का भी दौरा किया तथा आनंदपुर साहिब नामक नगर बसाया और वहीं रहने लगे।
● गुरुनानक बर्थडे: प्रकाश उत्सव
● बंदी छोड़ दिवस: (गुरु हरगोबिंद जी का इतिहास)
● गुरु गोविंद सिंह बर्थडे: उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते
● महापुरुषों की जयंती और पूण्यतिथि की लिस्ट
ऐसे बने सिक्खों के नौवें गुरू?
मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ “करतारपुर की जंग” में मुगल सेना के खिलाफ अतुलनीय पराक्रम दिखाने के बाद उन्हें तेग बहादुर (तलवार के धनी) नाम मिला। इसके बाद सिखों के 8वें गुरु श्री हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु के बाद 16 अप्रैल 1664 को श्री गुरु तेगबहादुर सिखों को नौवें गुरु बने।
कश्मीरी हिंदुओं के जबरन मुश्लिम बनाने पर गुरू जी ने औरंगजेब का विरोध किया और हिंदू धर्म की रक्षा और हिंदु एकता को जगाने के लिए उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया इसलिए आप जी को ‘हिंद की चादर’ (भारत की ढाल) कहा जाता है।
अपनी शहादत से पहले गुरु तेग बहादुर ने 08 जुलाई 1675 को गुरु गोविंद सिंह जी को सिखों का दसवां गुरु नियुक्त कर दिया था। सिक्खों की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु तेघ बहादुर जी के 116 शबद शामिल हैं।
यहाँ पढ़ें: चार साहिबजादों के बलिदान की गाथा?
गुरु तेग बहादुर जी की मृत्यु कब हुई थी?
मुसलमान बनने से इनकार करने पर 24 नवंबर 1675 को चांदनी चौक, दिल्ली में औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर का सिर कटवा दिया। उन्होंने जबरन धर्मांतरण का विरोध किया और अपने धर्म की रक्षा के लिए सिर कटवाना स्वीकार किया, लेकिन औरंगजेब के सामने झुके नहीं। भारत में उनका शहीदी पर्व प्रति वर्ष 24 नवंबर मनाया जाता है। यहाँ जानिए गुरु तेघ बहादुर जी के बलिदान की साहसिक गाथा।
श्री गुरु तेग बहादुर जी के बारें में कुछ रोचक तथ्य (Facts)
- मुगल बादशाह ने जिस जगह पर गुरु तेग बहादुर का सिर कटवाया था दिल्ली में उसी जगह पर आज शीशगंज गुरुद्वारा स्थित है।
- गुरुद्वारा शीश गंज साहिब तथा गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उन स्थानों की याद दिलाते हैं जहाँ गुरुजी की हत्या की गयी तथा जहाँ उनका अन्तिम संस्कार किया गया।
- गुरू जी ने हिंद धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए, इसलिए आप जी को ‘हिंद की चादर’ (भारत की ढाल) कहा जाता है।
- मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ “करतारपुर की जंग” में मुगल सेना के खिलाफ अतुलनीय पराक्रम दिखाने के बाद उन्हें तेग बहादुर (तलवार के धनी) नाम मिला।
- अपनी शहादत से पहले गुरु तेगबहादुर जी ने 8 जुलाई 1975 को गुरु गोविंद सिंह जी को सिखों का दसवां गुरु नियुक्त कर दिया था।
- सिक्खों की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब में उनके द्वारा लिखें गए 115 शबद शामिल हैं।
यहाँ देखें: इस साल के सभी जरूरी त्यौहार
डिस्क्लेमर: यहाँ उपलब्ध जानकारियाँ समान्य मान्यताओं और इतिहास पर आधारित है, HaxiTrick.Com इसकी पुष्टि नहीं करता।