ई-सिगरेट क्या है? कैसे काम करती है और भारत में बैन क्यों है?

ई-सिगरेट की फुल फॉर्म Electronic Cigarette होती है, यह एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक वेपराइजर होता है, इसमें निकोटिन और अन्य रसायनयुक्त Liquid भरा जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की जानकारी

ई-सिगरेट, जिसे इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी कहा जाता है, बैटरी से चलने वाला एक उपकरण है जो पारंपरिक तंबाकू सिगरेट का एक विकल्प है। आधुनिक ई-सिगरेट का आविष्कार 2003 में चीन में हुआ माना जाता है और तब से यह दुनिया भर में लोकप्रिय हो गई है। इसे पारंपरिक धूम्रपान से कम हानिकारक विकल्प बताया जा रहा था लेकिन एक शोध से यह पता चला है कि इसके इस्तेमाल से आर्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।

आज जमाना पूरी तरह से बदलता जा रहा है और लोग अपने रोजमर्रा की चीजों को भी डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक बनाते जा रहे हैं, इसी कड़ी में शरीर को नुकसान पहुँचाने वाला सिगरेट भी शामिल हो गया है। हालांकि कई देशों की सरकारों ने इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए इस पर बैन (प्रतिबंध) लगाने का फैसला किया है।

ई-सिगरेट क्या होता है?
ई-सिगरेट क्या होता है?

 

ई सिगरेट क्या है?

ई-सिगरेट की फुल फॉर्म “इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट” होती है, यह एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक वेपराइजर होता है। इसे आप इनहेलर भी कह सकते है। इसमें निकोटिन (नशे की लत लगाने वाला पदार्थ जो तम्बाकू में भी पाया जाता है) तथा अन्य रसायनयुक्त तरल भरा जाता है, इसके बाद बैटरी इलेक्ट्रिक एनर्जी से अटोमाइज़र का इस्तेमाल करके इस तरल पदार्थ को भाप में बदल देता है, जिससे इसे पीने वाले को सिगरेट स्मोकिंग जैसी फीलिंग होती है।

 

ई-सिगरेट कैसे काम करता है?

अधिकांश ई-सिगरेट में एक स्विच या स्वचालित सेंसर होता है जिसे सक्रिय करने पर बैटरी अटोमाइज़र को ऊर्जा प्रदान करती है। अटोमाइज़र, जो एक छोटा हीटिंग कॉइल होता है, ई-लिक्विड को गर्म करता है और ई-लिक्विड को वाष्प में बदल देता है।

जब उपयोगकर्ता माउथपीस के माध्यम से इस वाष्प को इनहेल करता है, तब वाष्प के साथ निकोटीन, फ्लेवरिंग एजेंट्स, और अन्य रसायन फेफड़ों में प्रवेश करता है और रक्तप्रवाह में अवशोषित होता है, जिससे धूम्रपान करने वाले को संतुष्टि मिलती है।

आपको बता दें कि ई-लिक्विड, जिसे वपिंग जूस भी कहा जाता है, एक तरल पदार्थ है जिसे ई-सिगरेट में उपयोग किया जाता है। इसमें विभिन्न स्वाद (फ्लेवर) भी होते हैं।


 

ई-सिगरेट के फायदे और नुकसान

धूम्रपान किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं हो सकता, यहाँ पारंपरिक सिगरेट की तुलना में ई-सिगरेट के फायदे और नुकसान की जानकारी दी गयी है।

  • कम हानिकारक: ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेट की तुलना में कम हानिकारक मानी जाती हैं क्योंकि इनमें तंबाकू का दहन नहीं होता और न ही धुआं निकलता है।
  • कोई दुर्गंध नहीं: ई-सिगरेट का उपयोग करने पर पारंपरिक सिगरेट की तरह दुर्गंध नहीं आती।
  • नियंत्रित निकोटीन: उपयोगकर्ता निकोटीन की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं।

ई-सिगरेट के नुकसान

  • स्वास्थ्य जोखिम: पारंपरिक सिगरेट से कम हानिकारक माना जाने वाला ई-सिगरेट पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। इससे फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं और हार्ट अटैक की संभावनाएं बढ़ सकती है।
  • युवाओं में लोकप्रियता: ई-सिगरेट का आकर्षक फ्लेवर युवाओं को आकर्षित करता है, जिससे उनकी निकोटीन की लत लगने का खतरा बढ़ जाता है।
  • अनियमितता: ई-सिगरेट के उत्पादों में रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता में अंतर हो सकता है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकता है।

ई-सिगरेट में जिन रसायनों का इस्तेमाल होता है, जिसमें ज्यादातर निकोटिन शामिल होता है और कई बार इससे भी ज्यादा खतरनाक रसायन डाले जाते हैं। इतना ही नहीं कुछ ब्रांडस में Formaldehyde (फॉर्मलडिहाइड) का इस्तेमाल भी किया जाता हैं, जिसमें बहुत ज्यादा खतरनाक और कैंसरकारी एलिमेंट्स होते हैं।

 

क्या ई-सिगरेट भारत में प्रतिबंधित है?

भारत में ई-सिगरेट के उत्पादन, बिक्री, आयात, निर्यात, परिवहन, वितरण, भंडारण और विज्ञापन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। दरअसल वर्ष 2019 में भारत की केंद्र सरकार ने ई-सिगरेट पर बैन लगाने का फैसला लिया था, जिसका मतलब है कि अब मार्केट में यह बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं रहेगी।

बैन के नियमों की अवहेलना करने पर 1 वर्ष तक की जेल और 1 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। एक से अधिक बार नियम का उल्लंघन करने वाले पर मिनिस्ट्री ने 5 लाख रुपए का जुर्माना और 3 साल तक जेल की सजा सुनाने की सिफारिश की है।

भारत से पहले इसे न्यूयॉर्क में भी बैन किया गया था, क्योंकि वहां के युवाओं द्वारा भारी मात्रा में इसका इस्तेमाल किया जा रहा था। जिसके परिणामस्वरूप वहाँ युवाओं में फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही थी।

यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका में मिशिगन के बाद न्यूयॉर्क शहर दूसरा ऐसा राज्य है, जहां फ्लेवर्ड ई-सिगरेट पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जा चुका है।

 

आखिर बैन करने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

ई-सिगरेट के इस्तेमाल या सेवन करने से व्यक्ति को अवसाद होने की संभावना दो गुना बढ़ जाती है। एक रिसर्च के अनुसार जो व्यक्ति नियमित रूप से इसका सेवन करता हैं, उसे हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा होने की संभावना 56% तक बढ़ जाती है। इतना ही नही अगर इसका सेवन लंबे समय तक किया जाए तो ब्लड क्लोट की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।

 

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की कीमत कितनी है?

भारत में एक डिस्पोजेबल ई-सिगरेट की कीमत ₹50 से ₹1000 तक होती है। इसके अलावा एकाधिक पॉड वाले रिचार्जेबल स्टार्टर किट की कीमत ₹1500 से ₹5000 या उससे अधिक हो सकती है।


वैधानिक चेतावनी: धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उपयोगकर्ताओं को ई-सिगरेट का उपयोग करते समय सावधानी बरतनी चाहिए और इसके संभावित खतरों के बारे में जागरूक रहना चाहिए।

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